Tuesday, November 28, 2006

कागज की कश्ती...

बूंदों से बना हुआ छोटा सा समन्दर,
लहरों से भीगती छोटी सी बस्ती,
चल ढूंढे बारिश में बचपन का साहिल,
हाथ में लेकर एक कागज की कश्ती...

1 comment:

अनाम said...

सोनलजी आपका ब्लाग देखा, लेकिन इसमें तो आपका कोई परिचय ही नहीं है। सब कुछ खाली-खाली सा लगा... मैनें बिल्लौरी कांच लेकर पूरा ब्लाग छान लिया लेकिन कहीं कुछ नजर नहीं आया... क्या यह मेरी आंखों का धोखा था या फिर आपका कोई जादू. समझ नहीं आया मुझे।